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कर्म प्रकृतियों में समूह-वाचक शब्द

  विशेष 

विशेष :

प्रकृतियों में समूह के वाचक शब्द

त्रसबारस -- त्रस, बादर, पर्याप्त, प्रत्येक शरीर, स्थिर, शुभ, सुभग, सुस्वर, आदेय, यशस्कीर्ति, निर्माण और तीर्थंकर

त्रसदस -- त्रस, बादर, पर्याप्त, प्रत्येक शरीर, स्थिर, शुभ, सुभग, सुस्वर, आदेय, यशस्कीर्ति

त्रसचतुष्क -- त्रस, बादर, पर्याप्त और प्रत्येक शरीर

स्थावरदसक -- स्थावर, सूक्ष्म, अपर्याप्त, साधारण, अस्थिर, अशुभ, दुर्भग, दुस्वर, अनादेय और अयशकीर्ति

स्थावरचतुष्क -- स्थावर, सूक्ष्म, अपर्याप्त और साधारण

अगुरुलघुषट्क -- अगुरुलघु, उपघात, परघात, उच्छ्वास, आतप और उद्योत

अगुरुलघुचतुष्क -- अगुरुलघु, उपघात, परघात और उच्छ्वास

जातिचतुष्क -- एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय ये चार जाति

वैक्रियकअष्टक -- वैक्रियिकशरीर, वैक्रियिक अंगोपांग, देवगति, देवगत्यानुपूर्वी, देवायु, नरकगति, नरकगत्यानुपूर्वी और नरकायु

वैक्रियकषष्क -- वैक्रियिकशरीर, वैक्रियिक अंगोपांग, देवगति, देवगत्यानुपूर्वी, नरकगति, नरकगत्यानुपूर्वी

नरकचतुष्क -- नरकगति, नरकगत्यानुपूर्वी, वैक्रियकशरीर और वैक्रियक अंगोपांग

देवचतुष्क -- देवगति, देवगत्यानुपूर्वी, वैक्रियकशरीर और वैक्रियक अंगोपांग

वर्णचतुष्क -- वर्ण, रस, गंध और स्पर्श

निद्रापंचक -- स्त्यानगृद्धि, निद्रानिद्रा, प्रचलाप्रचला, निद्रा और प्रचला

स्त्यानत्रिक -- स्त्यानगृद्धि, निद्रानिद्रा, प्रचलाप्रचला

तिर्यकचतुष्क -- तिर्यंचगति, तिर्यंचगत्यानुपूर्वी, औदारिकशरीर और औदारिकअंगोपांग

तिर्यक् एकादश -- तिर्यञ्च-द्विक, जाति-चतुष्क, स्थावर, सूक्ष्म, आतप, उद्योत, साधारण

नरचतुष्क -- मनुष्यगति, मनुष्यगत्यानुपूर्वी, औदारिक शरीर और औदारिक अंगोपांग

त्रसत्रिक -- त्रस, बादर, पर्याप्त

त्रसत्रिक युगल -- त्रस, बादर, पर्याप्त, स्थावर, सूक्ष्म, अपर्याप्त

सुभगचतुष्क -- सुभग, सुस्वर, आदेय और यशस्कीर्ति

दुर्भगचतुष्क -- दुर्भग, दुस्वर, अनादेय और अयशस्कीर्ति

सुभगचतुष्क युगल -- सुभग, दुर्भग, सुस्वर, दु:स्वर, आदेय, अनादेय, यशकीर्ति और अयशकीर्ति