अंतर में आनंद आयो, जिनवर दर्शन पायो ॥टेक॥अंतर्मुख जिन मुद्रा लखकर, आतम दर्शन पायो... जी पायो,अंतर में आनंद आयो, जिनवर दर्शन पायो ॥वीतराग छवि सबसे न्यारी, भव्य जनों को आनंद कारी दर्शन कर सुख पायो... जी पायो अंतर में आनंद आयो, जिनवर दर्शन पायो ॥१॥पुण्य उदय है आज हमारे, दर्शन कर जिनराज तुम्हारे सम्यग्दर्शन पायो... जी पायो अंतर में आनंद आयो, जिनवर दर्शन पायो ॥२॥मेघ घटा सम जिनवर गरजे, दिव्य ध्वनि से अमृत बरसे भव आताप नशायो... नशायो अंतर में आनंद आयो, जिनवर दर्शन पायो ॥३॥