कोई इत आओ जी, वीतराग ध्याओ जी,जिनगुण की आरती संजोय लाओ जी॥दया का हो दीपक, क्षमा की हो ज्योत,तेल सत्य संयम में, ज्ञान का उद्योत,मोहतम नशाओ जी, वीतराग ध्याओ जी॥संयम की आरती में, समकित सुगंध,दर्श ज्ञान चारित्र की, हृदय में उमंग,भेद ज्ञान पाओ जी, वीतराग ध्याओ जी॥नर-तन को पाय कर, भूलयो मती,बन जा दिगम्बर, महाव्रत यती,भावना ये भावो जी, वीतराग ध्याओ जी॥जिनगुण की आरती में, ध्यान की कला,भव भव के लागे सब, कर्म लो गला,भवभ्रमण मिटाओ जी, वीतराग ध्याओ जी॥