जिनवर तू है चंदा तो मैं हूँ चकोर ।दर्शन तेरे पाकर मेरा झूम उठा मन मोर ॥टेक॥अष्ठ कर्म को तूने मार भगाया,अज्ञानियों को तूने, ज्ञान सिखाया,कर्मों का तेरे आगे, चले ना कोई जोर,दर्शन तेरे पाकर मेरा झूम उठा मन मोर, मो....॥१ जिन..॥नैया खिवैया तू है, लाज बचैया,किनारे लगादे मेरी भटकी है नैया,मांझी तू है मेरा, सम्भालो मेरी डोर,दर्शन तेरे पाकर, मेरा झूम उठा मन मोर, मो.... ॥२ जिन..॥आया है जिनवर जो भी तेरी शरणवा,छवि तेरी पाकर उसका, खोया है मनवा,विनती मैं भी करता, तू सुन ले चितचोर,दर्शन तेरे पाकर मेरा झूम उठा मन मोर, मो... ॥३ जिन..॥