धन्य-धन्य आज घड़ी कैसी सुखकार है ।सिद्धों का दरबार है ये सिद्धों का दरबार है ॥खुशियाँ अपार आज हर दिल में छाई हैंदर्शन के हेतु देखो जनता अकुलाई हैचारों ओर देख लो भीड़ बेशुमार है ॥१॥भक्ति से नृत्य-गान कोई है कर रहेआतम सुबोध कर पापों से डर रहेपल-पल पुण्य का भरे भण्डार है ॥२॥जय-जय के नाद से गूँजा आकाश हैछूटेंगे पाप सब निश्चय यह आज हैदेख लो `सौभाग्य' खुला आज मुक्ति द्वार है ॥३॥