मनहर मूरत जिनन्द निहारआज मिला है जीवन सार, (३), मार्ग मिला भव पार का, शिव द्वार का ।पूजन रच के होऽऽ, पूजन रचके गुण गण गाऊँ, हर जीवन में स्वामी ध्याऊँ,हो जबलों मोक्ष का संगम पाऊँ, बीते जीवन ये देव द्वार, देव द्वार ॥मनहर...१॥वीतरागता होऽऽवीतरागता मुख से बरसे, आपसा बनने को मन तरसे, 'सेवक' का प्रभु अपनी महर से, मेट दो अब फेरा संसार ॥मनहर...२॥