स्वर्ग से सुंदर अनुपम है ये जिनवर का दरबार ।श्रद्धा से जो ध्याता निश्चित हो जाता भव पार,यही श्रद्धान हमारा, नमन हो तुम्हें हमारा ॥टेक॥कभी न टूटे श्रद्धा, तुम पर भगवान हमारी ।झुक जाएंगी जीवन, में प्रतिकूलता सारी ॥है विश्वास हमारा, इक दिन छूटेगा संसार ।यही श्रद्धान हमारा, नमन हो तुम्हें हमारा ॥१॥निर्वान्छक है भगवन, ये आराधना हमारी ।होवे दशा हमारी, बस जैसी हुई तुम्हारी ॥रत्नत्रय के मार्ग चलेंगे, पाएँ मुक्तिद्वार ।यही श्रद्धान हमारा, नमन हो तुम्हें हमारा ॥२॥स्याद्वाद वाणी ही, भ्रम का अज्ञान मिटाए ।निज गुण पर्यायें ही, अपना परिवार सदा है ॥है विश्वास हमारा एक दिन, छूटेगा संसार ।यही श्रद्धान हमारा, नमन हो तुम्हें हमारा ॥३॥लोकालोक झलकते, कैवल्यज्ञान है पाया ।फिर भी शुद्धातम ही, बस उपादेय बतलाया ॥मानो आज मिला मुझको, ये द्वादशांग का सार ॥यही..४॥