अपना ही रंग मोहे रंग दो प्रभुजी,आतम का रंग मोहे रंग दो प्रभुजी ।रंग दो रंग दो रंग दो प्रभुजी ॥ज्ञान में मोह की धूल लगी है,धूल लगी है प्रभु धूल लगी है ।इससे मुझको छुड़ा दो प्रभुजी ॥1॥सच्ची श्रद्धा रंग अनुपम,रंग अनुपम प्रभु रंग अनुपम ।इससे मोकों सजा दो प्रभुजी ॥2॥रत्नत्रय रंग तुमरा सरीखा,तुमरा सरीखा, तुमरा सरीखा ।इससे मोकों सजा दो प्रभुजी ॥3॥सेवक शरण गही जिनवर की,सेवक शरण गही आतम की ।जनम-मरण दु:ख मिटा दो प्रभुजी ॥4॥