आज खुशी तेरे दर्शन की,प्यास बुझी है, मेरे नयनन की ॥टेक॥ बड़ा पुण्य अवसर ये आया, आज तुम्हारा दर्शन पाया ।भक्ति में जब चित्त लगाया, चेतन में तब चित्त ललचाया ॥शरण मिली तेरे चरणन की ॥१ आज॥तेरे दर्शन से हे प्रभुवर, अंतरज्योति आज जलाऊँ ।तेरी वाणी से मैं अद्भुत, भेदज्ञान की कला प्रगटाऊँ ॥मूरत मेरे भगवन की ॥२ आज॥ज्ञाता दृष्टा बनकर अब तो, कर्ता-भोक्ता भाव मिटाऊँ ।फौज भगाई करमन की ॥३ आज॥