आया, आया, आया तेरे दरबार में त्रिशला के दुलारेअब तो लगा मँझधार से यह नाव किनारे ॥अथा संसार सागर में फ़ंसी है नाव यह मेरीफ़ंसी है नाव यह मेरीताकत नहीं है और जो पतवार संभारे ॥१ अब...॥सदा तूफ़ान कर्मों का नचाता नाच है भारीनचाता नाच है भारीसहे दुख लाख चौरासी नहीं वो जाते उचारे ॥२ अब...॥पतित पावन तरण तारण, तुम्हीं हो दीन दुख भन्जनतुम्हीं हो दीन दुख भन्जनबिगडी हजारों की बनी है तेरे सहारे ॥३ अब...॥तेरे दरबार में आकर न खाली एक भी लौटान खाली एक भी लौटामनोरथ पूर दें 'सौभाग्य' देता ढोक तुम्हारे ॥४ अब...॥