आयो आयो रे हमारो बडो भाग, कि हम आये पूजन को,पूजन को प्रभु दर्शन को, पावन प्रभु पद दर्शन को ॥जिनवर की अंतर्मुख मुद्रा आतम दर्श कराती,मोह महातम प्रक्षालन कर शुद्ध स्वरूप दिखाती ॥भव्य अकृत्रिम चैत्यालय की जग में शोभा भारी,मंगल ध्वज ले सुरपति आये शोभा जिनकी न्यारी ॥अनेकांत मय वस्तु समझ जिन शासन ध्वज लहरावें,स्याद्वाद शैली से प्रभुवर मुक्ति मार्ग समझावें ॥