ओ जगत के शान्तिदाता, शान्ति जिनेश्वर,जय हो तेरी॥टेक॥मोह माया में फ़ंसा, तुझको भी पहिचाना नहींज्ञान है ना ध्यान दिल में धर्म को जाना नहींदो सहारा, मुक्तिदाता, शान्ति जिनेश्वर ॥1 जय...॥बनके सेवक हम खडे हैं, आज तेरे द्वार पेहो कृपा जिनवर तो बेडा, पार हो संसार सेतेरे गुण स्वामी मैं गाता, शान्ति जिनेश्वर ॥2 जय...॥किसको मैं अपना कहूं, कोई नजर आता नहींइस जहां में आप बिन कोई भी मन भाता नहींतुम ही हो त्रिभुवन विधाता, शान्ति जिनेश्वर ॥3 जय...॥