करता रहूँ गुणगान, मुझे दो ऐसा वरदान तेरा नाम ही लेते लेते, इस तन से निकले प्राण तेरी दया से मेरे भगवन, मैंने ये नरतन पाया तेरी सेवा में बाधाएँ, डाले जग की मोह माया इसलिए अरज करता हूँ.... हो सके तो देना ध्यान २ करता रहूँ गुणगान, मुझे दो ऐसा वरदान क्या मालुम कब कौन किस घडी, आयु कर्म विनश जाए मेरे मन की इच्छा मेरे, मन ही मन में ना रह जाए मेरी इच्छा पूरी करना.... मेरे महावीर भगवान २ करता रहूँ गुणगान मुझे दो ऐसा वरदान चंदना और द्रौपदी के जैसी, दुःख सहने की शक्ति दो विचलित ना होऊं तेरे पथ से, ऐसी मुझे अनुरक्ति दो तेरी ही सेवा में..... इस जीवन की हर शाम २ करता रहूँ गुणगान, मुझे दो ऐसा वरदान