करुणा सागर भगवान, भव पार लगा देना ।तूफ़ां है बहुत भारी, मेरी नाव तिरा देना ॥मोही बनकर मैंने अब तक जीवन खोया ।अपने ही हाथों से काटों का बीज बोया ।अब शरण तेरी आया, दुख जाल हटा देना ।करुणा सागर भगवान, भव पार लगा देना ॥१॥मैंने चहुंगतियों में बहु कष्ट उठाया है ।लख चौरासी फ़िरते सुख चैन न पाया है ।दुखिया हूं भटक रहा प्रभु लाज बचा देना ।करुणा सागर भगवान, भव पार लगा देना ॥२॥भगवन तेरी भक्ति से संकट टल जाते हैं ।अज्ञान तिमिर मिटता सुख अमृत पाते हैं ।चरणों में खडा प्रभुजी मुझे राह बता देना ।करुणा सागर भगवान, भव पार लगा देना ॥३॥आतम अनुभव अमृत तजकर विषपान किया, मिथ्यात्व हलाहल से छनकर स्नान किया ।शुद्धात्म पीयूष पीऊँ सद्बोध दिशा देना ।करुणा सागर भगवान, भव पार लगा देना ॥४॥