जिन मंदिर में आके हम प्रभु का ध्यान धरें ।शुद्ध मन से आज हम अर्चना करें ॥टेक॥सबसे पहले अरिहंतों को करते हैं नमन ।सिद्धों को आचार्यों को स्वीकार हो वंदन ॥उपाध्याय सर्व साधु का भी ध्यान हम धरें ।शुद्ध मन से आज हम अर्चना करें ॥शुद्ध मन से आज हम अर्चना करें ॥१॥भक्ति-रस में आज हम आरती गाएँ ।सर्व पाप कटे सारे, मुक्ति पद पाएँ ॥लख चौरासी योनियों में हम भटक रहे ।शुद्ध मन से आज हम अर्चना करें ॥शुद्ध मन से आज हम अर्चना करें ॥२॥वीतरागी आत्म ध्यानी भेद ज्ञानी हो ।ज्ञान अमृत पी पी करके मोक्षधामी होशांत मूरत तुम्हारी हमको भा गई ।शुद्ध मन से आज हम अर्चना करें ॥शुद्ध मन से आज हम अर्चना करें ॥३॥