(तर्ज : नीले गगन के तले - हमराज)जिनजी के दरश मिले, खुशियों के फूल खिले ।दरश से जिनके, सुख रवि चमके, दुख की शाम ढले ॥टेक॥मन-मन्दिर में हो उजियारा, ज्ञान की ज्योति जले ॥जिनजी...॥जिन सुमिरन से भय मिट जावे, बाधा विघन टले ॥जिनजी...॥भव-भव के पातक धुल जाते, श्रीजी के चरण तले ॥जिनजी...॥भक्ति-भाव से पूज रचावे, मन की आस फले ॥जिनजी...॥मन-वच-तन से जो 'प्रभु' ध्यावे, शिव की ओर चले ॥जिनजी...॥