(तर्ज :- झीनी-झीनी उड़े रे गुलाल)जिनवर की होवे जय-जयकार, चलो रे जिन-मंदिर में,प्रभुजी की होवे जय-जयकार, चलो रे जिन-मंदिर में ॥टेक॥मंदिर में मेरे जिनराज विराजे, मंदिर में मेरे तीर्थंकर विराजे,जिनकी पूजा करने आये, पूजन भक्ति कर सुख पाये,देखत ही हर्ष अपार रे, चलो रे जिन मंदिर में ॥१॥प्रभुजी से नाता हमने जोड़ा, सिद्धों से नाता हमने जोड़ा,धर्म से नाता हमने जोड़ा, कर्मों से नाता हमने तोड़ा,जीवन में आई बहार, चलो रे जिन मंदिर में ॥२॥निज आतम से नाता जोड़ा, चार कषायों से नाता तोड़ा,आत्म प्रभु का शरणा पाया, सब पापों से आश्रय छोड़ा,हो जावे भव से पार, चलो रे जिन मंदिर में ॥३॥