तू ज्ञान का सागर है, आनंद का सागर हैउसी आनंद के प्यासे हम, निज ज्ञान सुधा चाखे, प्रभु अब तेरी कृपा से हम ॥तू॥विषय भोग में तन्मय होकर, खोया है जीवन वृथा,खोया है जीवन वृथा,बात प्रभु तेरी एक ना मानी, अपनी ही धुन में रहा-२जाना है किधर हमको-२ और आये हैं कहां से हम ॥तू ज्ञान का सागर है, आनंद का सागर है ॥१॥आतम अनुभव अमृत तज के, पिया विषय जड का,पिया विषय जड का,मोह नशे में पागल होकर, किया ना तत्व विचार-२नैया है मेरी मझधार-२, इसी से प्रभु को बुलाते हम ॥तू ज्ञान का सागर है, आनंद का सागर है ॥२॥भूल रहे हैं राह वतन की, भटक रहे संसार,भटक रहे संसार,भीख मांगते दर दर भ्रमते, घर में भरा है भंडार-२निजधाम हमारा है-२, जहां है स्वदेस यहां से हम ॥तू ज्ञान का सागर है, आनंद का सागर है ॥३॥