प्रभु जी अब ना भटकेंगे संसार में,अब अपनी खबर हमें हो गयी ॥भूल रहे थे निज वैभव को, पर को अपना माना ।विष सम पंचेंद्रिय विषयों में, ही सुख हमने जाना ।पर से भिन्न लखूं निज चेतन ... मुक्ति निश्चित होगी ॥प्रभु जी अब...महा पुण्य से हे जिनवर अब, तेरा दर्शन पाया ।शुद्ध अतीन्द्रिय आनंद रस पीने को,चित्त ललचाया ।निर्विकल्प निज अनुभूति से ... मुक्ति निश्चित होगी ॥प्रभु जी अब...निज को ही जाने पहिचाने, निज में ही रम जाये ।द्रव्य भाव नोकर्म रहित हो, शाश्वत शिवपद पाये ।रत्नत्रय निधियां प्रगटाएं .... मुक्ति निश्चित होगी॥प्रभु जी अब...