मन तड़फत प्रभु दरशन को आज ॥टेक॥मोरे तुम बिन बिगरे सगरे काज, विनती करत हूँ रखियो लाज, मन तड़फत प्रभु दरशन को आज ॥तुमरे द्वार का मैं हूँ जोगी,हमरी ओर नजर कब होगी, सुन मेरे व्याकुल मन का बाज, मन तड़फत प्रभु दरशन को आज ॥बिन गुरु ज्ञान कहाँ से पाऊँ, (2)दीजो दान प्रभु गुण गाऊँ, सब मुनिजन पर तुमरो राज, मन तड़फत प्रभु दरशन को आज ॥