मनहर तेरी मूरतियां, मस्त हुआ मन मेरातेरा दर्श पाया, पाया, तेरा दर्श पाया॥प्यारा प्यारा सिंहासन अति भा रहा, भा रहाउस पर रूप अनूप तिहारा, छा रहा, छा रहापद्मासन अति सोहे रे, नयना उमगे हैं मेरेचित्त ललचाया, पाया, तेरा दर्श पाया..तव भक्ति से भव के दुख मिट जाते हैं, जाते हैंपापी तक भी भव सागर तिर जाते हैं, तिर जाते हैंशिव पद वह ही पाये रे, शरणा आगत में तेरीजो जीव आया, पाया, तेरा दर्श पाया.. सांच कहूं कोइ निधि मुझको मिल गयी, मिल गयीजिसको पाकर मन की कलियां खिल गयी, खिल गयीआशा पूरी होगी रे, आश लगा के वृद्धितेरे द्वार आया, पाया, तेरा दर्श पाया..