वीर प्रभु के ये बोल, तेरा प्रभु! तुझ ही में डोलेतुझ ही में डोले, हाँ तुझ ही में डोलेमन की तू घुंडी को खोल, तेरा प्रभु तुझ ही में डोले ॥टेक॥क्यों जाता गिरनार, क्यों जाता काशी,घट ही में है तेरे घट-घट का वासी ॥अन्तर का कोना टटोल, तेरा प्रभु तुझ ही में डोले ॥१॥चारों कषायों को तूने है पाला,आतम प्रभु को जो करती है काला ॥इनकी तो संगति को छोड़, तेरा प्रभु तुझ ही में डोले ॥२॥पर में जो ढूँढा न भगवान पाया,संसार को ही है तूने बढ़ाया ॥देखो निजातम की ओर, तेरा प्रभु तुझ ही में डोले ॥३॥मस्तों की दुनिया में तू मस्त हो जा,आतम के रंग में ऐसा तू रँग जा ॥आतम को आतम में घोल, तेरा प्रभु तुझ ही में डोले ॥४॥भगवान बनने की ताकत है तुझमें,तू मान बैठा पुजारी हूँ बस मैं ॥ऐसी तू मान्यता को छोड़, तेरा प्रभु तुझ ही में डोले ॥५॥