रंग दो रंग दो जी रंग जिनराज,हमारा मन ऐसा रंग दो ॥रंग दो रंग दो रंग दो रंग दो प्रभुजी बस तुम जैसा रंग दो ॥टेक॥दर्शन पा मेरे भाग्य जगे हैं, भाग्य जगे हैं भाग्य जगे हैंमेरे हृदय में तेरा मंदिर, उस मंदिर में आप बसे हैंहटे धूल करम जिनराज ॥हमारा.. १॥प्रभुजी मेरी श्रद्धा जगे, श्रद्धा से मेरी भक्ति बढ़ेभक्ति में ऐसी शक्ति हो, जिससे आतम शक्ति जगेजले ज्ञान की ज्योति महान ॥हमारा.. २॥ऐसा ज्ञान सरोवर हो, जिसमें जल शुचि केशर होऐसा डूबे मन उसमें, जहां परम परमेश्वर होउड़े सम्यक ज्ञान गुलाल ॥हमारा.. ३॥