जय जिन वासुपूज्य शिव-रमनी-रमन मदन-दनु-दारन हैं ।बालकाल संयम सम्हाल रिपु, मोहव्याल बलमारन हैं ॥जाके पंचकल्यान भये चंपापुर में सुखकारन हैं ।वासववृंद अमंद मोद धर, किये भवोदधि तारन हैं ॥१॥जाकै वैन सुधा त्रिभुवन जन, को भ्रमरोग विदारन हैं ।जा गुनचिंतन अमलअनल मृत, जनम-जरा-वन-जारन हैं ॥२॥जाकी अरुन शांतछवि-रविभा, दिवस प्रबोध प्रसारन हैं ।जाके चरन शरन सुरतरु वांछित शिवफल विस्तारन हैं ॥३॥जाको शासन सेवत मुनि जे, चारज्ञान के धारन हैं ।इन्द्र-फणींद्र-मुकुटमणि-दुतिजल, जापद कलिल पखारन हैं ॥४॥जाकी सेव अछेवरमाकर, चहुंगतिविपति उधारन हैं ।जा अनुभवघनसार सु आकुल, तापकलाप निवारन हैं ॥५॥द्वादशमों जिनचन्द्र जास वर, जस उजासको पार न हैं ।भक्तिभारतें नमें 'दौल' के, चिर-विभाव-दुख टारन हैं ॥६॥