श्री जिनवर पद ध्यावें जे नर, श्री जिनवर पद ध्यावें हैं ॥तिनकी कर्म कालिमा विनशे, परम ब्रह्म हो जावें हैंउपल-अग्नि संयोग पाय जिमि, कंचन विमल कहावें हैं ॥चन्द्रोज्ज्वल जस तिनको जग में, पण्डित जन नित गावें हैंजैसे कमल सुगन्ध दशों दिश, पवन सहज फैलावें हैं ॥तिनहि मिलन को मुक्ति सुन्दरी, चित अभिलाषा लावें हैंकृषि में तृण जिमि सहज उपजियो, स्वर्गादिक सुख पावें हैं ॥जनम-जरा-मृत दावानल ये, भाव सलिल तैं बुझावें हैं'भागचंद' कहाँ तांई वरने, तिनहि इन्द्र शिर नावें हैं ॥