जिनवाणी जग मैया, जनम दुख मेट दो जनम दुख मेट दो, मरण दुख मेट दो ॥बहुत दिनों से भटक रहा हूं, ज्ञान बिना हे मैया निर्मल ज्ञान प्रदान सु कर दो, तू ही सच्ची मैया ॥गुणस्थानों का अनुभव हमको, हो जावे जगमैय्या चढैं उन्हीं पर क्रम से फ़िर, हम होवें कर्म खिपैया ॥मेट हमारा जन्म मरण दुख, इतनी विनती मैया तुमको शीश त्रिलोकी नमावे, तू ही सच्ची मैया ॥वस्तु एक अनेक रूप है, अनुभव सबका न्यारा हर विवाद का हल हो सकता, स्यादवाद के द्वारा ॥