जिनवाणी सुन उपदेशी, खोल ले अंखियां निज मन की पुण्य उदय जब आया है, मनुष जन्म तब पाया है छोड़ दें बातें विषयन की, खोल ले अंखियां निज मन की माता सुता सुत नारी है, जग मतलब की यारी है झूठी ममता परिजन की, खोल ले अंखियां निज मन की 'शान्ति' आतम ज्योति जगा, मोह तिमिर को दूर भगा शरण गहो प्रभु चरणन की, खोल ले अंखियां निज मन की