धन्य धन्य वीतराग वाणी, अमर तेरी जग में कहानी चिदानन्द की राजधानी, अमर तेरी जग में कहानी ॥टेक॥उत्पाद व्यय अरु ध्रौव्य स्वरूप, वस्तु बखानी सर्वज्ञ भूप । स्याद्वाद तेरी निशानी, अमर तेरी जग में कहानी ॥१॥नित्य अनित्य अरू एक अनेक, वस्तु कथंचित भेद अभेद अनेकान्त रूपा बखानी, अमर तेरी जग में कहानी ॥२॥भाव शुभाशुभ बंध स्वरूप, शुद्ध चिदानन्दमय मुक्ति रूप मारग दिखाती है वाणी, अमर तेरी जग में कहानी ॥३॥चिदानन्द चैतन्य आनन्दधाम, ज्ञान स्वभावी निजातम राम स्वाश्रय से मुक्ति बखानी, अमर तेरी जग में कहानी ॥४॥