माता तू दया करके, कर्मों से छुडा देना । इतनी सी विनय तुमसे, चरणों में जगह देना ॥टेक॥माता मैं भटका हूं, माया के अंधेरे में,कोई नहीं मेरा है, इस कर्मों के रेले में ।कोई नहीं मेरा है तुम धीर बंधा देना ॥इतनी...१॥जीवन के चौराहे पर मैं सोच रहा कब से,जाऊं तो किधर जाऊं, यह पूछ रहा मन से ।पथ भूल गया हूं मैं, तुम राह दिखा देना ॥इतनी...२॥लाखों को उबारा है, मुझको भी उबारो तुम,मंझधार में नैया है, उसको भी तिरा दो तुम ।मंझधार में अटका हूं, उस पार लगा देना ॥इतनी...३॥