म्हारी माँ जिनवाणी थारी हो जयजयकार ॥चरणां में राखी लीजो, भव से अब तारी लीजो ।कर दीज्यो इतनो उपकार, थारी हो जयजयकार ॥म्हारी माँ जिनवाणी थारी हो जयजयकार ॥1॥कुंदकुंद सा थारा बेटा, दुखडा सब जग का मेटा ।रच्यो समय को सार, थारी हो जयजयकार ॥म्हारी माँ जिनवाणी थारी हो जयजयकार ॥2॥जिनवाणी सुन हरषाये, निश्चित ही भव्य कहावे ।हो जावे भव से पार, थारी हो जयजयकार ॥म्हारी माँ जिनवाणी थारी हो जयजयकार ॥3॥तत्त्वों का सार बतावे, ज्ञायक से भेंट करावे ।कियो अनंत उपकार, थारी हो जयजयकार ॥म्हारी माँ जिनवाणी थारी हो जयजयकार ॥4॥