शांति सुधा बरसाए जिनवाणी वस्तुस्वरूप बताए जिनवाणी ॥टेक॥पूर्वापर सब दोष रहित है, वीतराग मय धर्म सहित है परमागम कहलाए जिनवाणी ॥१॥मुक्ति वधू के मुख का दरपण, जीवन अपना कर दें अरपण भव समुद्र से तारे जिनवाणी ॥२॥रागद्वेष अंगारों द्वारा, महाक्लेश पाता जग सारा सजल मेघ बरसाए जिनवाणी ॥३॥सात तत्त्व का ज्ञान करावे, अचल विमल निज पद दरसावे सुख सागर लहराए जिनवाणी ॥४॥