गुरु बिन सूनो लगे संसार (दरबार)मोहे राखो शरण मंझार - गुरू बिन सूनो गुरु ही तन में, गुरु ही मन में, गुरु हमारे हैं नयनन में, गुरु के चरणों में शीष नमाऊं , नमन करूं हर बार, गुरु बिन सूनो लगे संसार ॥१॥जिस जीवन में गुरु नहीं है, उसका जीवन शुरू नहीं है,गुरु ही जग में ज्ञान सिखावे, गुरु ही लगावे पार,गुरु बिन सूनो लगे संसार ॥२ ॥हाथ कमण्डल पिच्छी प्यारी, पंच महाव्रत के हो धारी, पांचो समिती पालन करते, तीन रतन को है धरते, हो जावे उद्धार , गुरु बिन सूनो लगे संसार ॥३ ॥षट कायों की रक्षा करते, देख देख पग को वे धरते, ऐसे गुरुवर परम कृपाल, कर दो बेड़ा पार, गुरु बिन सूनो लगे संसार ॥४॥ जब से तेरे दर्शन पाये, ज्ञान के दीप हमने जलायें, गुरु का आशीश शीष हो जाये, हो जाये भवपार, गुरु बिन सूनो लगे संसार ॥५॥