वेष दिगम्बर धार चले हैं मुनि दूल्हा बनकेमुक्ति-पुरी के द्वार चले हैं मुनि दूल्हा बनके ॥ पंच महाव्रत जामा सजाया, दशलक्षण का सेहरा बंधाया,चारित्र रथ हो सवार...चले हैं मुनि दूल्हा बनके वेष दिगम्बर धार चले हैं मुनि दूल्हा बनके ॥१॥बारह भावना संग बाराती, समिति गुप्ति सब हिल मिल गाती,हर्ष से मंगलाचार...चले हैं मुनि दूल्हा बनके ॥वेष दिगम्बर धार चले हैं मुनि दूल्हा बनके ॥२॥राग द्वेष आतिशबाजी छूटी, क्रोध कषाय की लडियां टूटी,समता पायल झनकार...चले हैं मुनि दूल्हा बनके ॥वेष दिगम्बर धार चले हैं मुनि दूल्हा बनके ॥३॥शुक्ल ध्यान की अग्नि जलाकर, होम किया निज कर्म खिपाकर,तप तेरा यशगान...चले हैं मुनि दूल्हा बनके ॥वेष दिगम्बर धार चले हैं मुनि दूल्हा बनके ॥४॥शुभ बेला शिवरमणी वरेंगे, मुक्ति महल में प्रवेश करेंगे,गूंजेगी ध्वनि जयकार...चले हैं मुनि दूल्हा बनके ॥वेष दिगम्बर धार चले हैं मुनि दूल्हा बनके ॥५॥