शान्ति सुधा बरसा गये गुरु तोहि बिरियां, तत्त्वज्ञान समझा रहे गुरु तोहि बिरियां ॥अनेकांत और स्याद्वाद पथ दरशाया, सुनकर के सारे जग का मन हरषाया,इन पे निछावर हीरा मोती और मणियां, ज्ञान सुधा बरसा गये गुरु तोहि बिरिया ॥तत्त्व॥निश्चय और व्यवहार तुम्हीं ने समझाया, बडे बडे विद्वानों के भी मन भाया,स्वाध्याय प्रवचन चिंतन गुरु की किरिया ॥तत्त्व॥समयसार के गणधर बनकर तुम आये, कर दिये अंधेरे दूर हृदय में जो छाये,मैं पडूं हजारों बार गुरु तोरी पैया ॥तत्त्व॥