जैन धर्म के हीरे मोती, मैं बिखराऊं गली गलीले लो रे कोइ प्रभु का प्यारा, शोर मचाऊं गली गलीदौलत की दीवानों सुन लो, एक दिन ऐसा आयेगाधन दौलत और माल खजाना, पडा यहीं रह जायेगासुन्दर काया मिट्टी होगी, चर्चा होगी गली गली ॥१॥क्यों करता तू तेरी मेरी, तज दे उस अभिमान कोझूंठे झगडे छोड के प्राणी, भज ले तू भगवान कोजग का मेला दो दिन का, अंत में होगी चला चली ॥२॥जिन जिन ने ये मोती लूटे, वे ही माला माल हुएदौलत के जो बने पुजारी, आखिर में कंगाल हुएसोने चांदी वालों सुन लो, बात कहूं मैं भली भली ॥३॥जीवन में दुख है तब तक ही, जब तक सम्यकज्ञान नहींईश्वर को जो भूल गया, वह सच्चा इंसान नहींदो दिन को ये चमन खिला है, फ़िर मुर्झाये कली कली ॥४॥