आजा अपने धर्म की तू राह में, वो ही करे भव पार रे...ढेरों जनम तूने भोगों में खोये..तूने भोगों में खोयेफ़िर भी हवस तेरी पूरी न होये..तेरी पूरी न होयेतज दे तू इनकी याद हो sssआजा अपने धर्म की तू राह में, वो ही करे भव पार रे ॥१॥तेरा जग में साथी यही ये एक धरम हैआशा जिसकी तू करता वो एक भरम हैझूठा है जग संसार हो sssआजा अपने धर्म की तू राह में, वो ही करे भव पार रे ॥२॥सुख होता जग में ना तजते फ़िर तीर्थंकरतज धन मालिक ना रचते भेष दिगम्बरजग में नहीं कुछ सार हो sssआजा अपने धर्म की तू राह में, वो ही करे भव पार रे ॥३॥