चांदखेड़ी ले चालो जी साँवरिया,ऐसी लागी जी लगन, मेरे मन में सजन, प्रभु दर्शन की ॥नैना भर आए कैसी प्यारी रे मूरतिया,आदि-बाबा के नगर, चांदखेड़ी की डगर, ले चालूँ रे ॥टेक॥नाभिराय मरुदेवी के नन्दन, आदीश्वर जिनराज जी ।चांदखेड़ी में आन विराजो, शोभा वरणी न जाय जी ।मन मचला दर्शन करने को, नैन रहे ललचाए रे ।चन्दा बाबा भी हैं मेरे बाबा की नगरिया ॥१...आदि॥रुपलनदी के तट पे बसा है, अतिशय क्षेत्र ये प्यारा ।जिला है झालावाड खानपुर, मंदिर बना है प्यारा ॥भाव सहित वंदन जो कर ले, जन्म सफल हो जाए रे ।सुन रे ओ साथी, यही मुक्ति की डगरिया ॥२...ऐसी॥मंजिल एक भूमि के भीतर, जा बैठे जिनराज जी,पद्मासन मूरत अति प्यारी, किस विधि करूँ बखान जी ।जो कोई वंदन पूजन कर ले, जन्म सफल हो जाए रे ।बाबा ऐसे चमके जैसे चमके रे बिजुरिया ॥३...आदि॥