(सेठानी) पूजा पाठ रचाऊँ मेरे बालम, आतम ध्यान लगाऊँगी ।चंदा प्रभु के दर्शन करने, सोनागिर को जाऊँगी ॥(सेठ) सोनागिर मत जाय री सेठानियाँ, घर को वन है जायेगो ।ताती-ताती नरम-गरम मोय, करके कौन खावएगो ॥(सेठानी) भरत क्षेत्र में अतिशय तीरथ, नंगानंग कहावे ।टोंक-टोंक पर ध्वजा विराजे, शोभा खूब बढ़ावे ॥सब प्रतिमाओं को अर्घ चढ़ाउंगी, प्रभु चरनन चित लाऊँगी ।चंदाप्रभु के दर्शन करने , सोनागिर को जाऊँगी ॥(सेठ) पति की सेवा, दर्शन, पूजन उत्तम शास्त्र बतावें ।पति की आज्ञा बिना कोई सत नारी कही न जावे ॥भीड़-भाड़ में कोई फुसलाकर, दूर कहीं ले जायेगो ।ताती-ताती , नरम-गरम मोय , करके कौन खावएगो ॥(सेठानी) नित-प्रति स्वाध्याय पूजन में, अपनो ध्यान लगाऊँगी ।करूँ वन्दना और आरती, परिकम्मा को जाऊँगी ॥अक्षत, धुप चढ़ाऊँ मेरे बालम, जुग-जुग दीप जलाऊँगी ।चंदाप्रभु के दर्शन करने, सोनागिर को जाऊँगी ॥(सेठ) प्रभु की मैं तस्वीर लाय दूँ, ताको ध्यान लगाय ले ।दिव्य दृष्टि से मन मंदिर में, दर्शन कर सुख पाय ले ॥हो जायेगो धन खर्च तो गोरी, तेरो पति भूखन मर जायेगो ।ताती-ताती , नरम-गरम मोय , करके कौन खावएगो ॥(सेठानी) जैनेश्वरी लयुं मैं दीक्षा, आठों करम जराऊँगी ।नाच नचूँ भव-भव नहीं फिर मैं, ऐसो जोग मिलाऊँगी ॥बनूँ अर्जिका केश लोच कर, मुक्ति पद को पाऊँगी।चंदाप्रभु के दर्शन करने , सोनागिर को जाऊँगी ॥(सेठ) कर्म जरें जर जाएँ, यह दिल होरी सो मती जरइयो ।मूंड मुड़ाय छोड़ बच्चन कों, घर को मती भूलइयो ॥चोर कोऊ घुस आय ठरगजी, सब चोरी कर जायेगो ।ताती-ताती, नरम-गरम मोय, करके कौन खावएगो ॥(सेठानी) लोक लाज संसार के बंधन, अरहंत सच्चो वीरा ।नरियल कुण्ड को नीर पियत ही, मिट जाय तपन शरीरा ॥अनहद गाना गाऊँ मेरे सजना, बजानी शिला बजाऊँगी ।चंदाप्रभु के दर्शन करने, सोनागिर को जाऊँगी ॥(सेठ) सच्चो हे अरहंत अगर तो, मोकुं धन दिलवाय दे ।हँस के संग चलूँ तेरे गोरी, मोय यात्रा करवाय दे ॥धोको मत दे जइयो मेरी रानी, पति बिन मौतन मर जायेगो ।ताती-ताती , नरम-गरम मोय, करके कौन खावएगो ॥(सेठानी) तुम तो बालम, धन के लोभी, सब यहीं पर रह जायेगो ।पाप, पुण्य और ज्ञान-ध्यान ही, सब के संग में जायेगो ॥जबरन तुमको अब मैं 'कमल' जी अपने संग ले जाऊँगी ।चंदाप्रभु के दर्शन करने, सोनागिर को जाऊँगी ॥