आयो आयो पंचकल्याणक भविजन आ जाओ…खुला है आज मुक्ति का द्वार भविजन आ जाओ…आनन्द है उत्सव… आ जाओ, ये महा महोत्सव…आओ रे पधारो सिद्धक्षेत्र मंगल यह उत्सव आया यहाँ ॥क्षेत्र शिखरजी सिद्धधरा का कण कण है अति पावन ।नगर बनारस आज बन गया भरत क्षेत्र का मधुवन ।बहे आनन्द रस की धार भविजन आ जाओ ॥१॥भव्यों का सौभाग्य खिला है जिनदर्शन सब पायें ।सिद्धक्षेत्र में आकर हम सब सिद्धों से मिल जावें ॥लागा सिद्धों का दरबार भविजन आ जाओं ॥२ आनन्द...॥आनन्द है उत्सव… रत्नत्रय उर धार स्वयं प्रभु, शाश्वत सिद्धपद पायें ।भवोदधि में हम थे अटके हमको पार लगावों ॥चलो भवसागर के पार भविजन आ जाओ ॥३ आनन्द...॥आनन्द है उत्सव… सिद्धों को मंगल आमन्त्रण सिद्धालय से आया ।अब जो जागों निज हित लागों सिद्धों ने बुलवाया ।पाने सिद्धगति सुखकार भविजन आ जाओ ॥४ आनन्द...॥