आया पंचकल्याणक महान आया पंचकल्याणक महानजन्म मरण दुख क्षय कर हम भी, पायें पद निर्वाण ॥जग तारक प्रभु तीर्थेश्वर का अन्तिम जन्म महा सुखमय ।स्वयं तिरे प्रभु भवसागर से हमको तारो यही विनय ॥ज्ञान दिवाकर उदित हुआ अब पाओ सम्यग्ज्ञान…आया पंचकल्याणक महान आया…निरख निरख छवि बाल प्रभु की सुरपति आनन्द उर भारी ।रूप अनुपम प्रभु बालक का लख शचि लेती बलिहारी ॥हिल मिल नृत्य करें सब भविजन गावें मंगल गान…आया पंचकल्याणक महान आया…गुण अनन्त के धारी प्रभुवर अन्तर परणति क्या कहनातीन ज्ञान संग ले जन्मे प्रभु पहने रत्नत्रय गहना ॥धन्य धन्य है भाग्य ह मारे मिला मुक्ति वरदान…आया पंचकल्याणक महान आया…ज्यों पारस से संस्पर्शित हो लोह स्वयं पारस होतात्यों जिनवर के दर्श मात्र से मोह अन्धेरा क्षय होता ॥आप कृपा से जागे वह बल मैं भी बनू भगवान…आया पंचकल्याणक महान आया...