इन्द्र नाचे तेरी भक्ति में छनन छनन,छन छनन छनन तुं तनन तनन ।तीन प्रदिक्षण प्रभु की लगा के शचि देख हरषाई,बाल प्रभु सीने से लगे, बजी ममता की शहनाई ।इन्द्राणी की पायल बाजे झनन झनन ॥इन्द्र...१॥बाल प्रभु के सुरपति निरखे लोचन सहस बनाये,नर-नारी भी देख प्रभु को, हिये न हर्ष समाये ।पुण्य बढ़े और पाप का होवे हनन हनन ॥इन्द्र...२॥सनत कुमार माहेन्द्र इन्द्र भी चौसठ चंवर दुरावे,शेष शुक्र के जयकारे से गनाम्बर गुंजावे ।मन्द सुगधित पवन बह रही सनन सनन ॥इन्द्र...३॥क्षिरोदधि से कलश इन्द्र ने हाथों हाथ भराये,पाण्डु शिला पर प्रभु विराजे चन्द्र सूर्य शर्माये ।स्वर्ग लोक से घंटे बाजे घनन घनन ॥इन्द्र...४॥