गर्भ कल्याणक आ गया,देखो देखो जी आनंद छा गया॥स्वर्गपुरी से देवगति को तजकर प्रभु ने नरगति पाई, धन्य धन्य है त्रिशला माता तीर्थंकर की माँ कहलाई,कुण्डलपुर में आनंद छा गया॥सोलह सपने माँ ने देखे मन में अचरज भारी है, सिद्धार्थ नृप से फ़ल पूछा उपजा आनंद भारी है,तीन भुवन का नाथ आ गया॥अंतिम गर्भ हुआ प्रभुजी का अब दूजी माता नहीं होगी, शुद्धातम के अवलम्बन से आत्मसाधना पूरी होगी,ज्ञान स्वभाव हमें भा गया॥