देवों और मानवों की चर्चा का सार है पालकी उठाने का हमें अधिकार है
मनुष्य : प्रभु और हमारी गति भी समान है गति भी समान है मति भी समान है और.... चाहे कोई जीत कहो चाहे कोई हार है पालकी उठाने का हमें अधिकार है
देव : अद्भुत शक्ति के धारी हम देव हैं पालकी उठाके लाये कीनी हमने सेव है हमारा ही अभी तक प्यार और दुलार है पालकी उठाने का हमें अधिकार है
मनुष्य : शक्ति और वैभव तो पुद्गल की माया है आतम शक्ति का बल हमने ही पाया है और... फर्क तुम्हारे दुख होते निराधार हैं पालकी उठाने का हमें अधिकार है
वैक्रियिक शरीर ये तो पुद्गल का खेल है नष्ट होय एक दिन मेरा नही मेल है और... समय नष्ट नही करो क्योंकि समयसार है पालकी उठाने का हमें अधिकार है
दिव्य वस्त्राभूषण भोग अपने ही आप हैं प्रभु का ये अतिशय है पुण्य का प्रताप है और... कर्मों का खेल इसमें देवों पे क्या भार है पालकी उठाने का हमें अधिकार है
अभिमान छोड़ दो ये वैभव ना तुम्हारा है उग्र साधना का फल हमने ही पाया है आतम शक्ति के आगे तीनों लोक हारा है पालकी उठाने का हमें अधिकार है
जड़ रत्न बरसाए ये भी कोई जोर है संयम रतन के आगे इसका नहीं मोल है रत्नत्रय के आगे सब निस्सार है पालकी उठाने का हमें अधिकार है
पंच कल्याणक की पूजन का भाव है वो तो शुभ भाव है उससे क्या लाभ है मोक्ष मार्ग में नही उसका सार है पालकी उठाने का हमें अधिकार है
पुण्य और वैभव की तुम ना दुहाई दो शक्ति वाले बनते हो तो दीक्षा तुम धार लो संयम धारण करने को हमी तैयार हैं पालकी उठाने का हमें अधिकार है
देव : मनुष्यों तुम जीत गए स्वर्ग निस्सार है तुमको नमस्कार आज बारम्बार है आज संयम के आगे हुई पुण्य हार है पालकी उठाने का तुम्हें अधिकार है