मेरा पलने में झूले ललना... मेरा पलने में ॥स्वर्णमयी अरु रत्न जडित यह स्वर्गपुरी से आया है,इस पलने में बैठ झूलने सुरपति मन ललचाया है, किन्तु पुण्य है वीर कुंवर का ... इसमें शोभे ललना ॥मेरा॥बड़े प्यार से आज झुलाऊ अपने प्यारे लाल को,सप्त स्वरों में गीत सुनाऊ तीर्थंकर सुत बाल को,शुद्ध बुद्ध आनंद कंद मैं... अनुभव करता ललना ॥मेरा॥तन मन झूमे पिताश्री का अवसर है आनंद का,सोच रहे हैं पुत्र हमारा रसिया आनंद कंद का,ज्ञानानंद झूले में झूले... देखो मेरा ललना ॥मेरा॥देवों के संग क्रीडा करता सब झुले आनंद में,किन्तु पुत्र की अंतर परिणति झुले परमानंद में,गुणस्थान षष्टम सप्तम में ... कब झूलेगा ललना ॥मेरा॥अंतर के आनंद में झूले जाने ज्ञान स्वभाव को, मुझसे भिन्न सदा रहते हैं पुण्य पाप के भाव तो,भेदज्ञान की डोरी खीचें .... देखो मा का ललना ॥मेरा॥ज्ञान मात्र का अनुभव करता रमे नही पर ज्ञेय में,दृष्टि सदा स्थिर रहती है चिदानंद मय ध्येय में, निज अंतर में केलि करता ... देखो मेरा ललना ॥मेरा॥