णमोकार मन्त्र को प्रणाम हो, प्रणाम हो है अनादि महामंत्र मंगल निष्काम हो ॥टेक॥
पहला अरिहंत नाम करता है कर्म नाश जीवों को देता है ये ज्ञान सूर्य का प्रकाश जय हो अरहंत देव तुम्ही धर्मध्यान हो है अनादि महामंत्र मंगल निष्काम हो ॥१ णमो..॥
दूजा है सिद्ध नाम जन्म मृत्यु से विहीन अविनाशी वीतरागी सदा स्वयं आत्मलीन है अनंत शुद्ध सिद्ध सृष्टि के ललाम हो है अनादि महामंत्र मंगल निष्काम हो ॥२ णमो..॥
महाव्रती ज्ञानी आचार्य नमस्कार हो उपाध्याय ज्ञान ज्योति जहां अन्धकार हो विनयशील वीतराग साधु ज्ञानवान हो है अनादि महामंत्र मंगल निष्काम हो ॥३ णमो..॥
सर्व साध्य मुक्ति हो महामंत्र ध्यान से अंतर बाहर पवित्र मन्त्र नमस्कार से नमस्कार मन्त्र मुक्ति सिद्धि के निधान हो है अनादि महामंत्र मंगल निष्काम हो णमोकार मन्त्र को प्रणाम हो, प्रणाम हो ॥४॥