बने जीवन का मेरा आधार रे, णमोकार णमोकार णमोकार रे ॥पहली शरण अरिहंतों की जाना,हो जाओगे भव से पार रे ॥१॥दूजी शरण श्री सिद्धों की जाना,मुक्ति का अंतिम द्वार रे ॥२॥तीजी शरण आचार्यॊ की जाना,करते हैं सबका उद्धार रे ॥३॥चौथी शरण उपाध्यायॊं की जाना,देते जिनवाणी का ज्ञान रे ॥४॥पांचवी शरण सर्व साधु की जाना,जिन पथ पे चलते वो शान से ॥५॥