ये तो सच है कि नवकार में, सब मंत्रों का ही सार है ।इसे जो भी जपे रात-दिन, होता उसका ही भव-पार है ॥टेक॥अरिहंतों को भी इसमें सुमिरन किया, और सिद्धों का भी इसमें ध्यान धरा ।आचार्यों को भी नत-मस्तक होकर,उपाध्यायों को भी इसमें वंदन किया ॥सब साधु भगवंतों को भी, नमन इसमें बारंबार है ।इसे जो भी जपे रात-दिन, होता उसका ही भव-पार है ॥१... ये तो॥राजा श्रेणिक भी जब कुष्ट रोगी हुआ,जाप इसका किया वो निरोगी बना ।सुदर्शन श्रावक जब सूली चढ़ा,ध्यान इसका धरा, सोली आसन बना ।हम तो कहते हैं नवकार तो सब मंत्रों तो सब मंत्रों का सरताज है इसे जो भी जपे रात-दिन, होता उसका ही भव-पार है ॥२... ये तो॥