अपने में अपना परमातम, अपने से ही पाना रे अपने को पाने अपने से, दूर कहीं नहीं जाना रे ॥अपनी निधि अपने में होगी, अपने को अपनेपन दे, अपनी निधि की विधि अपने में, अपना साधन आतम रे,अपना अपना रहा सदा ही, परिचय ही को पाना रे, अपने को पाने अपने से...अपने जैसे जीव अनन्ते, अपने बल से सेते हुए, अपनी प्रभुता की प्रभुता ही, पहचानी प्रसेते हुए,अपनी प्रभुता नहीं बनाना, अपने से है पाना रे, अपने को पाने अपने से...