आत्मा हमारा हुआ है क्यों काला राग से है मेला, हुआ है झमेलादौड़ा दौड़ा दौड़ा चेतन, चार गति में पहुंचा |नरक गति में पहुँचा वहां के दुख को देखा |क्रोध ने गमाया जीवन भटक गयी फिर नौका क्रोध करोगे? नहीं नहीं (2) तिर्यंच गति में पहुँचा वहाँ के दुख को देखामाया ने गमाया जीवन भटक गयी फिर नौकामाया करोगे? नहीं नही (2) मनुष्य गति में पहुंचा वहां के दुख को देखा - (2)मान ने गमाया जीवन भटक गयी फिर नौकामान करोगे ? नहीं नही (2)देव गति में पहुंचा वहां के दुःख को देखा (3) लोभ ने गमाया जीवन भटक गयी फिर नौका लोभ करोगे? - नहीं नहीं (2)आतम को जब समझानिज को निज में देखामोह को मिटाया मैंने, सुलझ गयी फिर नौकाआया आया आया चेतन निज में ही तब आया |आत्मा हमारा हुआ नहीं काला, ज्ञान से उजेला, हुआ है सवेराआया आया आया चेतन निज में ही अब आया |