किसको विपद सुनाऊँ, हे नाथ तू बता दे, (2)तेरे सिवा न कोई जो कष्ट को मिटा दे ॥टेक॥अपराध नाथ बेशक मैंने किये हैं भारी, (2)हो दीन के दयालु, उनकी मुझे क्षमा दे ।किसको विपद सुनाऊँ, हे नाथ तू बता दे ।यह कर्म दुष्ट मुझको, भटका रहे हैं दर-दर, (2)जीवन मरण के दु:ख से हे नाथ तू बचा दे ।किसको विपद सुनाऊँ, हे नाथ तू बता दे ।धन ज्ञान अपना खोकर, परेशान हो रहा हूँ, (2)शान्ति हृदय में आवे, वो उपाय तो सुझा दे ।किसको विपद सुनाऊँ, हे नाथ तू बता दे ।टाला नहीं है टलता, विधि का उदय किसी से, (2)'शिवराम' शोक चिंता, तू चित से हटा दे ।किसको विपद सुनाऊँ, हे नाथ तू बता दे ।